Tuesday, March 1, 2011

साकी को न जब तलक,इस बात का मलाल होगा !


मुर्गे की मौत का न जबतलक,साकी को मलाल होगा,   
तबतलक मयखाने पे हर मुर्गा, बेक़सूर हलाल  होगा।  


 तृप्ति  भला क्यों  मिलेगी , अतृप्त किसी पियक्कड़ को,
हलक उसके घुटन होगी  और दिल बद्दतर हाल होगा।  

सोचा न होगा  मुर्गे ने भी कभी कि पैमानों की भीड़ में,
छलकते जाम पे किसी रोज उसका, यूं  इस्तेमाल होगा।  


चौराहा तबेले में तब्दील होगा, टुन्न आवारा पशुओं से,
अंग -अंग उनके लिए उसका, इज्जत का सवाल होगा।  

बोटी -बोटीकर चबाई जायेगी, मय के प्याले भर-भरके,

खर्चेगा  कोई अपनी जेब से तो कोई बाप का माल होगा।  



शामे-गम कट जाए अगर 'परचेत', बिना कॉकटेल के ,
तेरे मयकदे की कसम साकी ,वो नजारा बेमिसाल होगा।  

23 comments:

  1. गोदियाल की मधुशाला अच्छी रही.

    ReplyDelete
  2. मय मिलाकर इश्क में,

    दोनों पियेंगे संग मिलकर,

    तेरे मयकदे की कसम,

    नजारा बेमिसाल होगा !


    अद्भुत नज़ारा पेश कर दिया…………सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  3. वाह वाह वाह गोदियाल साहब

    यह गीत तो मेरी फ़िल्म के लिए थीम सांग हो गया

    आभार आभार आभार

    ReplyDelete
  4. मुझे तो इसमें यथार्थ नज़र आ रहा है.

    ReplyDelete
  5. ललित जी आभार, मेरा मेहनताना देना न भूलना :) :)

    ReplyDelete
  6. मधुशाला, बिल्कुल नये अन्दाज में।

    ReplyDelete
  7. तबेला बना हो चौराहा,
    टुन्न आवारा पशुओं से,
    मय के प्याले भर-भरके,
    बांटता हर पंडाल होगा ...

    वाह वाह ... बिन पिए ही नशा छा रहा है गौदियल साहब ...
    आज तो कमाल कर दिया है आपने ..

    ReplyDelete
  8. वाकई पढ़कर नशा छा गया!

    ReplyDelete
  9. क्या बात है गोदियाल साहब..कमाल का लिखा है...
    बहुत उम्दा...

    ReplyDelete
  10. अच्छा हुआ, आज ही पढ़ लिया । कल तो ड्राई डे है ।

    ReplyDelete
  11. अद्भुत नज़ारा पेश कर दिया| बहुत अच्छी मधुशाला|

    ReplyDelete
  12. आप सभी का आभार !

    Thanks a lot Dr. Sahaab, thanks for bringing this to my notice. :):)

    ReplyDelete
  13. अपने भी बेमिसाल नज़ारा प्रस्तुत कर दिया। सुन्दर रचना के लिये बधाई।

    ReplyDelete
  14. अत्यंत लाजवाब शमा बांध दिया आपने तो. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  15. शामे-गम को जब कभी,

    सन्नाटे से दहशत लगे ,

    खर्राटों के सिरहाने कहीं,

    खिन्न कुमकुम लाल होगा !

    लाज़वाब! बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  16. मधुशाला मस्त मस्त।

    ReplyDelete
  17. साकी को न जब तलक,

    इस बात का मलाल होगा,

    मयखाने पर हर मुर्गा,

    प्यासा ही हलाल होगा !
    अजी मुर्गे ने तो मयखाने जाना ओर पीना ही चोड दिया...
    आप की गजल पढ कर बोतल जीतना नशा हो गया, बहुत खुब, धन्यवाद

    ReplyDelete
  18. मयखाने का हर मुर्गा प्यासा ही हलाल होगा -----खूब सूरत कबिता जितनी तारीफ की जय कम है बहुत-बहुत धन्यवाद.

    ReplyDelete
  19. वाह वाह महाराज की जय हो..आनन्द आ गया...

    ReplyDelete
  20. तो फिर, आज भांग से ही काम चला लो बम बम भोले के नाम से :)

    ReplyDelete
  21. गोदियाल जी के मयखाने में आके अपुन को तो चढ़ गई.... मस्त मजा आ गया शिवरात्रि पर... जय हो भोले की...

    ReplyDelete

सहज-अनुभूति!

निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना,  कि...