...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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सहज-अनुभूति!
निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना, कि...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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आज तडके, दूर गगन में, एक अरसे के बाद, फुरसत से, सूरज अपनी महबूबा, चाँद से मिला, और कुछ पलों तक दोनों एक दूसरे को निहारते रहे, जी...
बढ़िया है आदरणीय-
ReplyDeleteहदे पार करते रहे, जब तब दुष्टाबादि |
*अहक पूरते अहर्निश, अहमी अहमक आदि |
अहमी अहमक आदि, आह आदंश अमानत |
करें नारि-अपमान, इन्हें हैं लाखों लानत |
बहन-बेटियां माय, सुरक्षित प्रभुवर करदे |
नाकारा कानून व्यवस्था व्यर्थ ओहदे ||
*इच्छा / मर्जी
बढिया
ReplyDeleteयाद रखो, इतिहास साक्षी है
ReplyDeleteकि जब-जब इस धरती पर,
नारी दमन हुआ है,
उसके तुरंत बाद
कुरुक्षेत्र और लंका दहन भी हुआ है।,,,,सटीक पंक्तियाँ,,,,
Recent post: रंग गुलाल है यारो,
नारी के ऊपर अन्याय करने वाले नामर्द हैं.
ReplyDeleteसुन्दर और सटीक प्रस्तुति सुन्दर विचार
ReplyDeleteयाद रखो, इतिहास साक्षी है
ReplyDeleteकि जब-जब इस धरती पर,
नारी दमन हुआ है,
उसके तुरंत बाद
कुरुक्षेत्र और लंका दहन भी हुआ है।
...बहुत सटीक और सशक्त अभिव्यक्ति...
नारी की लाज बची होती तो महाभारत न होता, अब तो तय है।
ReplyDeleteबहुत ओजपूर्ण रचना है,चेतावनी देती-सी,
ReplyDeleteइसका शीर्षक इतना दयनीय न हो वही भाव दर्शाता तो सोने में सुहागे हो जाता!
बहुत ही प्रस्शत रचना, शुभकामनाएं
ReplyDeleteरामराम.